सनातन धर्म में ब्राम्हणों का योगदान
गुलामी के दिन थे। प्रयाग में कुम्भ मेला चल रहा था। एक अंग्रेज़ अपने द्विभाषिये के साथ वहाँ आया। गंगा के किनारे एकत्रित अपार जन समूह को देख अंग्रेज़ चकरा गया। उसने द्विभाषिये से पूछा, “इतने लोग यहाँ क्यों इकट्टा हुए हैं?” द्विभाषिया बोला, “गंगा स्नान के लिये आये हैं सर।” अंग्रेज़ बोला, “गंगा तो …