जबलपुर – सनातन धर्म और संस्कृति में आस्था रखने वालों के लिए यह समय भक्ति और पूजन पाठ से भरा हुआ है। इस ऋतु काल में लगातार त्योहार और पर्व रहते हैं पानी वाला पर्व है बहुला चौथ।
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ मनाया जाता है। डॉ.अर्जुन पाण्डेय ज्योतिषाचार्य के अनुसार इसे बहुला गणेश चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए उपवास रखती हैं। इस साल यह व्रत 7 अगस्त 2020 को पड़ रहा है। शास्त्रों के अनुसार, बहुला चतुर्थी के दिन व्रत रखने से संतान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। बहुला चतुर्थी व्रत में गाय-बछड़े की पूजा का विशेष महत्व है।बहुला व्रत विधि-
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान के बाद साफ कपड़े धारण करना चाहिए। इस दिन महिलाएं निराहार व्रत रखती हैं। शाम के समय गाय और बछड़े की पूजा करती हैं। शाम को पूजा में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिन्हें बहुला को अर्पित किया जाता है। इस भोग को बाद में गाय और बछड़े को खिला दिया जाता है। कहते हैं कि बहुला चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने सुखों की प्राप्ति होती है।
बहुला चतुर्थी व्रत से लाभ-
कहते हैं कि बहुला चतुर्थी व्रत संतान को मान-सम्मान और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है। निसंतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान को कष्टों से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होती है।